सुन सकते हो क्या
सुन सकते हो क्या, मेरी खामोश सिसकियाँ कौन सी गफ़लत में थे, कह गये तुम ये सब क्या? सुन सकते हो क्या, मेरी बेचैन नाराज़गियाँ जब न दे पायी कोई भी जवाब मैं, तुम्हारे गुस्से को भी मैंने पी लिया! सुन सकते हो क्या, मेरी मजबूर उदासीनियाँ चाहते हुए भी तुम्हें बेइंतहा, छोड़ देना चाहती हूँ तुम्हारा जहाँ सुन सकते हो क्या, मेरी दर्द भरी गहराईयाँ तुम्हारी दिन रात की शिकायतें, गिनाती हुई मेरी तमाम नाकामियाँ सुन सकते हो क्या, मेरी दिल की धड़कती हुई सुईयाँ जिनपर नाम है सिर्फ तुम्हारा, यूँ न दो मुझको रूसवाईयाँ सुन सकते हो क्या, मेरी खौफ़ज़दा नादानियाँ कभी जिन पर तुम हुए थे फिदा, अब उन से ही है शिकवा इस गुस्से की, इस छटपटाहट की वजाहतें और होंगी भी क्या बस बदल गये हैं हम दोनों, बदल गया है अपना समाँ दिल के किसी कोने में अभी भी उम्मीदें दस्तक देतीं हैं क्या टटोल कर देखें, क्या पाएगें फिर प्यार अपने दरमियाँ मुझे भी सुननी है, तुम्हारी दास्तान सुन सकते हो क्या, मेरी कोशिशों की कहानियाँ Image credit: https://www.shutterstock.com/image-photo/silhouettes-couple-man-woman-broken-heart-...