gulmohar गुलमोहर की सीख
आज सवेरे सवेरे अपने रस्ते पे एक गुलमोहर का फूल पड़ा मिला एक पल को मैं रुक गयी यूँ सोचते इतना खूबसूरत फूल, कहीं मैंने जो इसे कुचल दिया? इतने में आवाज आयी, थोड़ी लाल पीली, ज़रा मीठी सी क्या सोच रहे हो मेरे दोस्त, किन उलझनों में गुम हो गए मेरी सुंदरता सिर्फ पेड़ पर ही थी मैं तो अब अपना काम कर चला सारी ज़िंदगी इस पेड़ से चिपक के बिता दी और आखिरी वक्त में ये नाता भी टूट चला पर अब मुझे न दर्द है न खौफ है कि आगे क्या होगा रूँद जाना है मुझे या फिर गल जाना है यही पल शायद मेरा आख़िरी मुक़ाम होगा मैंने भी तो तेरी तरह इस मिट्टी में मिल जाना है