Posts

Showing posts from October, 2020

रावण दहन / आत्म चिन्तन

Image
विजय दशमी का पर्व है, वर्षों से हम कर रहे हैं रावण दहन परन्तु क्या हम करना भूल गये हैं तनिक भी आत्म-चिन्तन? कैसे स्वीकारा कि मात्र अवगुणों का भण्डार था वो ज्ञानी ब्राह्मण? या जलाते जलाते हम करना भूल गये उसके सद्गुणों का स्मरण! अखण्ड भक्ति थी उसकी अपने आराध्य शिव शम्भू पर  पाया वर उसने कि होगा वो शिवभक्त अनूठा समस्त भू पर!  तो फिर था उसमें साहस, धैर्य व श्रद्धा कि कर सके वो तप,  किन्तु जब आया राम का समय तो फिर कहाँ भटक गया वो भक्त? संगीतज्ञ व कवि था वो - संस्कृत का महाज्ञानी! कितने ही वाद्य व काव्य रच डाले, कहाँ मिलेगा उसका सानी।  तो संवेदनशीलता का तो न होगा अभाव जब लिखी उसने कोई कविता।  फिर कैसे पाया दुःसाहस जो हर ली उसने निर्मल, निश्छल, सती सीता? प्रजा भी तो उसकी थी सम्पन्न - प्रसन्न, नहीं था वो कोई नृप अत्याचारी,  अपनी बहन के सम्मान के लिए लड़ पड़ा वो, उसकी बहन भी तो थी एक नारी!  फिर कमी क्या रह गयी उसकी कथनी में, उसकी करनी में - कि याद किया जाता है वो समय पर्यन्त पापियों, दुराचारियों की श्रेणी में! कुछ तो था स्वभाव से वह लाचार - अन्ततः रावण था तो एक असुर,  पराक्रम था, उग