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Showing posts from September, 2019

पापा आपकी याद में

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In the memory of my father... Forever miss you महीने सालों में बदलते जाएंगे तुम्हारे जाने का दुःख हम कैसे सह पाएंगे तुम ठीक हो या नहीं कैसे जाने पर तुम बिन हम ठीक हैं, ऐसा कहते जाएंगे फासला ए जिंदगी तो तय हो जाएगा ना जाने कितने मकाम आयेंगे जाएंगे पर आप के पास सा आराम ओ सुकून हम ढूँढ कर भी कहीं नहीं पाएंगे कितने ही लोग हैं हमारे आसपास कुछ जाने कुछ अनजाने जो आप ही सी मुहब्बत करना चाहते है पर क्या हम उनको यह मौका दे पाएंगे

हिन्दी दिवस

Something from my pen on Hindi diwas हमारी अवनी इसकी ध्वनि इसके अक्षर यहां की मात्राएं, यह सब अपनी अनमोल धरोहर बचपन की बोली अनुभवों की झोली हमारी आशा क्यों धीमी है इसकी ज्योति आज, हिन्दी हमारी मातृभाषा सभी भाषाओं का करें आदर, यही हमको सिखाती है हिन्दुत्व की संस्कृति सभी को अपना बनाती है ए बी सी डी याद रहती है, क ख ग भूलते जाते हैं "अतिथि देवो भव:" हमेशा यही जताते हैं माँ को छोड़ कर आंटी अच्छी लगने लगी देसी वस्तुएँ पिछड़ी लगे लगी हिन्दी को भी पीछे छोड़ दिया माँ का प्यार भरा हृदय तोड़ दिया आओ आज इस दिवस पर एक प्रण करें हिन्दी पर अभिमान करें स्वाभिमान करें जो नभ सी अनंत है, जिसमें धरा सी सुंदरता है अपार शब्दों का भंडार जिसमें, उसमें हमारी श्रद्धा है आओ अपनी मातृभाषा का एक बार पुनः अभिनंदन करें मिलकर हिन्दी का प्रयोग इसका प्रचलन करें आने वाली पीढ़ियों को बताना है हमारे पूर्वज आर्य है भविष्य का इतिहास से साक्षात्कार भी तो अनिवार्य है हिन्दी एक कड़ी है, समकालीन और एतिहासिक संबंधो की इसका प्रयोग और प्रचार जिम्मेदारी है सब बंधुओं की हिन्दी हैं हम, वतन है हिन्द

For Kashvi, the bright one in our home. My daughter

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For Kashvi - the Shining Star or the Bright one! सौम्य मुस्कान, चंचल सी चमक बाहर शांत भीतर धमक। कश्वि है वो ईश्वर का वरदान, पिता की जान माँ का अभिमान, घर की शान। कश्वि है वो हुआ मंगल आप हमारे घर आईं कितनी खुशियां कितनी रौनक साथ लाईं। कश्वि है वो सुन्दर व्यक्तित्व जीवन्त आँखें दुःख दोष कभी आसपास भी न झाँके। कश्वि हो वो चाचा की चहेती, चाची की दुलारी मौसी की मित्र, मौसा से भी यारी। कश्वि है वो शिखर की शिखा, कीर्ति का यश बने हर विद्या में निपुण, हर कार्य में दक्ष। कश्वि है वो कुवँर की गुडिया आभा सी आभायमान कल्पना से परे चन्द्र की चाँदनी का भान। कश्वि है वो प्रशान्त सी विशाल हो महत्वकांक्षा, कर पाये तृप्ति अपने प्रयत्न में सद्गुणों से शोभित हो, प्रेम की वर्षा हो आपके जीवन में। कश्वि है वो सात्विक, स्वास्तिक इनके विचार हो हर निमेश में हर पल में सिद्धि से समर्थ रहे यह अपने जीवन के आज मे कल में। कश्वि हो वो शिखर सी ऊँचाई कीर्ति सा हो विस्तार कुछ ऐसा कार्य कर जाये , जिससे आप सही मायने में कश्वि बन जाये With love and blessing from mom