हिन्दी दिवस
Something from my pen on Hindi diwas
हमारी अवनी इसकी ध्वनि इसके अक्षर
यहां की मात्राएं, यह सब अपनी अनमोल धरोहर
बचपन की बोली अनुभवों की झोली हमारी आशा
क्यों धीमी है इसकी ज्योति आज, हिन्दी हमारी मातृभाषा
सभी भाषाओं का करें आदर, यही हमको सिखाती है
हिन्दुत्व की संस्कृति सभी को अपना बनाती है
ए बी सी डी याद रहती है, क ख ग भूलते जाते हैं
"अतिथि देवो भव:" हमेशा यही जताते हैं
माँ को छोड़ कर आंटी अच्छी लगने लगी
देसी वस्तुएँ पिछड़ी लगे लगी
हिन्दी को भी पीछे छोड़ दिया
माँ का प्यार भरा हृदय तोड़ दिया
आओ आज इस दिवस पर एक प्रण करें
हिन्दी पर अभिमान करें स्वाभिमान करें
जो नभ सी अनंत है, जिसमें धरा सी सुंदरता है
अपार शब्दों का भंडार जिसमें, उसमें हमारी श्रद्धा है
आओ अपनी मातृभाषा का एक बार पुनः अभिनंदन करें
मिलकर हिन्दी का प्रयोग इसका प्रचलन करें
आने वाली पीढ़ियों को बताना है हमारे पूर्वज आर्य है
भविष्य का इतिहास से साक्षात्कार भी तो अनिवार्य है
हिन्दी एक कड़ी है, समकालीन और एतिहासिक संबंधो की
इसका प्रयोग और प्रचार जिम्मेदारी है सब बंधुओं की
हिन्दी हैं हम, वतन है हिन्दुस्तान हमारा!
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