yaad

बहुत याद आते हो तुम, कभी भी, कैसे भी, कहीं भी
पता नहीं किस बात पर-या जब नहीं हो कोई बात भी
न जाने कैसे एक पल - एक एहसास तुम्हारे न होने की हकीकत जता जाता है
पर फिर कहीं से कोई भूली सी धुन, हवा में उड़ता पत्ता ये जताता है
कि "मैं ज़िन्दा हूँ- तुम्हारे ज़हन में, तुम्हारे दिल के गुदगुदे कोने में, इन्हीं यादों में
बाहर मत ढूँढा करो मुझे, मैं शामिल हूँ तुम्हारे छोटे बड़े इरादों में
रूबरू न सही पर मेरी बातें तुम्हारी साथी हैं, कभी खु़द को अकेला न पाना,
और फिर तुम्हारे पास तो मेरे सभी हैं, मेरे पास फ़क्त तन्हाई है और कुछ यादों का ख़ज़ाना"
यही सोचकर कर लेती हूँ तसल्ली कि मेरे पास यादें तो हैं
कितने लम्हों से निचोड़ी हुयी इतनी बातें तो हैं
पर फिर भी यूँ ही कभी कोई तस्वीर, कोई गाना या कोई किस्सा,
याद दिला दे जाते हैं कि अब तुम हमारा सिर्फ हो रुहानी हिस्सा
ख्याल रखो अपना कि वहाँ तुम अकेले हो, और देखे रहो मुझे भी
तुम्हारे दिखाये रास्ते पर चलने की कर रही हूँ कोशिश- बस साथ बने रहो दूर से भी 

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