किसी के जाने से

किसी के चले जाने से ये जहाँ नहीं रुकता है
जिसका जहाँ लुट गया, वो भी कहाँ वहाँ रुकता है 

वक्त की छोटी सी बूँद में क्या से क्या हो जाता है
साँसों का सिलसिला कब सिर्फ आखिरी कतरा हो जाता है 
मालूम ही नहीं पड़ता कि किसका जहाँ लुटता है 
टीस दर्द की बस वो जानता है जिसका जहाँ लुटता है 

किसी के चले जाने से ये जहाँ नहीं रुकता है
जिसका जहाँ लुट गया, वो भी कहाँ वहाँ रुकता है

तमाम रस्मों को निभाने में कितनी घड़ियाँ बिताई
तेरी जुदाई अभी तलक समझ ही नहीं आयी 
समझ बूझ अक्ल से कोसों दूर है कि बिन तेरे मेरा दम घुटता है
दर्द लहू बनकर रगों में दौड़ रहा है कि मेरा सारा जहाँ लुटता है 

किसी के चले जाने से ये जहाँ नहीं रुकता है
जिसका जहाँ लुट गया, वो भी कहाँ वहाँ रुकता है

जाने वाले की याद करूँ या अपने अकेलेपन का ग़म करूँ 
औरों से आँसू छिपा लूँ या बोलकर अपना दर्द कम करूँ 
आगे की सोचो, कहते हैं वो जिनका अपना क्या लुटता है 
यकीं नहीं होता कि तेरे जाने से ये जहाँ नहीं रुकता है

किसी के चले जाने से ये जहाँ नहीं रुकता है
जिसका जहाँ लुट गया, वो भी कहाँ वहाँ रुकता है

Image credit : https://images.app.goo.gl/HnaPkDL4uhp2yVAa6

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