bhajan

शिव मेरे आराध्य हैं उनका नित मैं भजन करूँ
जब भी देखूँ जहाँ भी देखूँ उनका ही दर्शन करूंँ 

डमरू की डम डम ध्वनि से जाग उठा सारा जगत
मैं भी घंटा नाद कर के आपका अभिनन्दन करूँ

सिर पर धारे गंगा जी की निर्मल शीतल धारा
मैं भी दूधाभिषेक से आपका वन्दन करूँ

विष को रखें अपने गले में जय हो स्वामी नीलकण्ठ
बेल और धतूरे से अब मैं पूजन करूँ

पार्वती पति हे सदाशिव रखें हम पर सदा कृपा
ॐ नमः शिवाय की माला का मैं नित गठन करूँ


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