Happy 10th anniversary

मिलना हमारा,  बात कुछ अजीब सी थी
सारी कारस्तानी नसीब की ही थी
जो मिलता किसी मोड़ पर, ऐसा रास्ता न था अपना
आज इतने दिनों पर भी सब लगता है जैसे एक सपना 

मिलना - बिछड़ना, फिर मिल कर बिछड़ना, थी अपनी दास्तान
जब हम साथ होते थे तो लगता था कि मुट्ठी में है सारा जहान
और जब थे दूरी के दिन, ज़िन्दगी में  तब भी कोई कमी तो न थी
पर जो बाँधे दिलों को खुशी से, वो डोर रेशमी भी तो न थी

ऐसा नहीं है कि हमेशा मुहब्बत थी, प्यार था
हमारा रिश्ता है दोस्ती का, तू मेरा सबसे अच्छा यार था
न जाने कब ये दोस्ती एक आदत में बदल गई 
अपनी खुशी के सामान को मिल गयी एक शक्ल नई

अब तो तेरे बिन ज़िन्दगी कैसे चलेगी, जब भी ये सोचता हूँ
नहीं लगे हुये घावों को भी घबराता हुआ सा नोंचता हूँ 
फिर याद आता है कि हुये साथ हम, बीते साल कई
लेकिन लगता है कि अपनी मुहब्बत अभी भी है जैसे  बिल्कुल नई 


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