घुटन

एक अजब घुटन सी होती है, आजकल अपनों के बीच भी
मायूसी सी छा जाती है, आजकल सपनों के बीच भी
न जाने कैसी कैफ़ियत से जूझ रहा है ये दिल बेचारा
तारीख़ तो बदलती है पर हालत नहीं बदलती महीनों के बीच भी 

बस इक सुकून ही तो ढूँढती है मेरी रूह दर ब दर-
मिल जाता है कोई हमदम, कोई हमराज़, कोई हमसफ़र
कुछ देर को ही सही, दिल के बोझ में उतार चढ़ाव तो आता है, 
अलबत्ता सुकून की तलाश मुल्तवी हो जाती है इस कदर

जब तन्हाई के बादल घेर लेतें हैं मुझे फिर कभी दुबारा  
सुकून की तलाश में निकल चलती हूँ मैं फिर से मेरे यारा
यूँ कि सुकून या साथ, कुछ तो मिल सकता है इस राह में 
वर्ना तो फक्त़ मायूसी है अपनी और है अपना घुटन का दायरा 

Image credit : https://images.app.goo.gl/1SGwaKGE5fUgnvvR6



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