ऐसे ही - कुछ पंक्तियाँ
डूबते सूरज को कोई नहीं सलाम करता है,
ये भूल कर कि वो खास है - नहीं काम आम करता है!
बस वक्त का फेर है, नजरिया बदलने की देर है!
लेकिन हो बेफिक्र ज़माने से, सूरज अपना काम करता है।
उसको नहीं परवाह कि सोचा क्या आवाम करता है -
वो अपनी राह पर लगातार सफर तमाम करता है।
उसका काम लाना सवेरा, रात के दामन से भगाना अँधेरा।
क्या लेना देना चढ़ने डूबने से उसे - वो फ़क्त रोशनी का इंतज़ाम करता है।
Beautiful 💞
ReplyDeleteThank you
DeleteKya khub kahi... really true
ReplyDelete💕
DeleteWah wah....
ReplyDeleteDoobta Suraj!
Thank you Deepak
DeleteWell expressed thought..well done!!!
ReplyDeleteबहुत सुंदर कहा भाभी 👌👌
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